तिरुमला देवी एड़ा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य

यश जैनCase Summary

तिरुमाला देवी एड़ा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य

तिरुमाला देवी एड़ा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य
(2012) 6 ALD 98 (DB)
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय
रिट याचिका 34683, 34805/2011, 894/2012 और PIL 10/2012
न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश आशुतोष मोहंता के समक्ष
निर्णय दिनांक: 17 जुलाई 2012

मामले की प्रासंगिकता: क्या इलेक्ट्रॉनिक राजपत्र में प्रकाशन सरकारी राजपत्र में प्रकाशन के बराबर है?

विधि और प्रावधान

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2 (s), 8)
  • भारतीय संविधान, 1950 (अनुच्छेद 309)

मामले के प्रासंगिक तथ्य

  • दिनांक 10.8.2010 को आ.प्र. न्यायिक सेवा में प्रत्यक्ष चयन से जिला और सत्र न्यायाधीशों (प्रवेश स्तर) की श्रेणी में 18 रिक्तियों की अधिसूचना आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने दी। इसके चलते, आ.प्र. की सरकार ने न्यूज़ पेपर में विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए।
  • अधिसूचना में परीक्षा का मोड, पाठ्यक्रम, चयनीत होने के लिए न्यूनतम अंक और अन्य जानकारियां दी गई थी। परीक्षा आयोजित की गई और मूल्यांकन होने पर 52 उम्मीदवारों को योग्य पाया गया था जिन्हें मौखिक परीक्षा के लिए उपस्थित होना था।
  • इसी बीच मौखिक परीक्षा में न्यूनतम अंक की ज़रूरत को हटाने के लिए आंध्र प्रदेश राज्य न्यायिक सेवा नियम, 2007 में संंशोधन किया गया था। आंध्र प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट पर उक्त G.O. Ms No. 132 को अपलोड कर दिया गया था।
  • तदनुसार, साक्षात्कार आयोजित किए गए थे और 17 उम्मीदवारों को भर्ती के लिए अनंतिम रूप से चयनित घोषित किया गया था। भर्ती के लिए 17 उम्मीदवारों के अनंतिम चयन को चुनौती दी गई है।

अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख

  • आ.प्र. उच्च न्यायालय के विद्वान वकील श्री पी. वेणुगोपाल ने प्रस्तुत किया कि अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ बनाम भारत संघ  में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित किये गए कानून को लागू करने के लिए यह संशोधन आवश्यक था।
  • याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमे लिए विशिष्ट रूप से प्रकाशन की आवश्यकता है।

न्यायपीठ की राय

  • प्रकाशन केवल प्रभावित होने वाले व्यक्तियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है। इसलिए, याचिकाकर्ताओं की ओर से दिए गए तर्कों में कोई बात ऐसी नहीं है जो आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन को अनिवार्य बताता है।
  • जैसा कि रिट याचिका की दलीलों में देखा जा सकता है, सभी याचिकाकर्ताओं को उक्त संशोधन के बारे में जानकारी थी। एक बार यह स्थापित हो जाने के बाद कि वे संशोधन के बारे में जानते हैं, प्रकाशन के तरीके के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है।

अन्तिम निर्णय

  • रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से सभी दलीलें अस्थिर है।
  • रिट याचिकाओं का निपटारा किया जाता है और संशोधित नियम के अनुसार उम्मीदवारों का चयन मान्य है।

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