अखिल कुमार अग्रवाल बनाम उत्तराखंड राज्य

यश जैनCase Summary

अखिल कुमार अग्रवाल बनाम उत्तराखंड राज्य

अखिल कुमार अग्रवाल बनाम उत्तराखंड राज्य
उत्तराखंड उच्च न्यायालय
आपराधिक आवेदन 77, 83, 157/2017
न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा के समक्ष
निर्णय दिनांक: 02 सितंबर 2019

मामले की प्रासंगिकता: धारा 65B के तहत आवश्यकताओं को पूरा किए बिना मोबाइल डिवाइस और कॉल डेटा रिकॉर्ड (CDR) की स्वीकार्यता

सम्मिलित विधि और प्रावधान

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(1)(t), 2(1)(o))
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (धारा 63, 65A, 65B)

मामले के प्रासंगिक तथ्य

  • अपीलाकर्ता श्री अखिल अग्रवाल पर अपने मृतक दोस्त श्री सचिन गुप्ता के अपहरण एवं हत्या का आरोप था। अपीलकर्ता ने एक फर्जी आईडी से मोबाइल नंबर ख़रीदा जिसका इस्तेमाल उसने फिरौती के लिए किया।
  • 24.11.2010 को मृतक सचिन गुप्ता के मोबाइल नंबर से मुखबिर (informant) के मोबाइल नंबर पर शाम करीब 6 बजकर 3 मिनट पर एक कॉल आया।
  • 24.11.2010 को दोपहर करीब 3 बजे गवाह ने मृतक को सरकारी अस्पताल के पास अपीलकर्ताओं के साथ देखा था। इसी तारीख को शाम के लगभग छह बजे गवाह श्री दीपक अरोड़ा ने अपीलकर्ता-विमल शर्मा को दूसरे अपीलकर्ता-अखिल कुमार अग्रवाल के साथ मानपुर तिराहा, काशीपुर के पास  देखा और उस समय अपीलकर्ता-विमल शर्मा अपने मोबाइल पर किसी से बात कर रहे थे। गवाहों के बयानों के अनुसार, CDR का इस्तेमाल करके अपीलकर्ताओं की लोकेशन की पुष्टि की गई थी।
  • दिनांक 04.12.2010 एवं 05.12.2010 को अपीलकर्ता की पहचान पर-विमल शर्मा, होटल रजिस्टर को पुलिस ने होटल ताज, कॉर्बेट, रामनगर से हिरासत में लिया और एक रस्सी बरामद की, जिससे मृतक का गला घोंटा गया था।
  • अपीलकर्ताओं के मोबाइल नंबर एक दूसरे के लगातार संपर्क में पाए गए।

न्यायपीठ की राय

  • आईटी एक्ट की धारा 2(t) में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का स्पष्ट रूप से नहीं है, लेकिन वर्तमान मामले में, यह एक बात स्पष्ट है कि अपीलकर्ता ने अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल फिरौती फोन कॉल करने के लिए किया था और इसी उद्देश्य के साथ उसने वह नंबर खरीदा था। चूंकि मोबाइल नंबर का इस्तेमाल अपराध में शामिल बातों के लिए ही किया गया था इसलिए धारा 65B के तहत प्रमाण पत्र के बिना भी उसे कोर्ट में स्वीकार किया जा सकता है।

अन्तिम निर्णय

  • अपील खारिज कर दी गई और हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को दोहराया कि अपीलकर्ता अपहरण और हत्या के लिए दोषी थे।
  • अदालत में मोबाइल डिवाइस इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य थे क्योंकि उसका घटना से जुड़ी जानकारी से सीधे संबंध था।

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