रूनीत गुलाठी बनाम राज्य
रूनीत गुलाठी बनाम राज्य
2019 (4) Crimes 285 (Del.)
दिल्ली उच्च न्यायालय
Crl A 1175/2018, Crl M (Bail) 1815/2018, Crl M (Bail) 1997/2018, 536/2019, Crl A 27/2019, 60/2019, Crl M (Bail) 107/2019
न्यायाधीश मनमोहन और न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल के समक्ष
निर्णय दिनांक: 20 सितंबर 2019
मामले की प्रासंगिकता: जब कॉल डेटा रिकॉर्ड (CDR) का अपराध से सीधा संबंध हो तब धारा 65B के तहत दी गई आवश्यकताओं का पूरा होना
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(t))
- भारतीय दंड संहिता, 1860 (धारा 302, 380, 404, 449)
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (धारा 65A, 65B)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- 18 जुलाई 2012 को करीब सुबह की 4:30 बजे, पुलिस कंट्रोल रूम में VIPS कॉलेज के पास पड़ी हुई एक लाश की खबर मिली। जांच अधिकारी और उनकी टीम पते पर पहुंची। उस जगह की छानबीन हुई और फोटोग्राफ लिए गए।
- वहां ऐसी कोई चीज़ बरामद नहीं हुई जिससे लाश की पहचान की जा सके और लाश को मुर्दा घर भेज दिया गया।
- बाद में यह जानकारी मिली कि लाश किसी शिवम कपूर की है।
- जांच के दौरान अपीलकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और उनके दिए गए बयानों के अनुसार कई सामग्रियां बरामद हुई।
- अभियोजन पक्ष के अनुसार जब शिवम अपीलकर्ताओं से मिला तो वे उसे स्विफ्ट कार में ले गए जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 3335 है। रास्ते में उन्होंने शिवम से घर पर रखे हुए पैसों के बारे में पूछा जिसका जवाब उसने देने से इनकार कर दिया। कोई जवाब नहीं मिलने पर अपीलकर्ताओं ने पेपर कटर से उसके शरीर को चोट पहुंचाई और उनमें से एक ने उसके पेट पर गोली चला दी।
न्यायपीठ की राय
- पीठ की यह राय थी कि जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत किए गए अपीलकर्ताओं के कॉल डेटा रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज बेशक उनके गुनाह की ओर इशारा करते हैं और अभियोजन पक्ष की कथा को सही ठहराते है।
अंतिम निर्णय
- अपील को खारिज कर दिया गया और निचली अदालत के फैसले को दोहराया गया।
- यह बात स्पष्ट है कि मोबाइल फोन के रिकार्ड्स धारा 65B में दी गई प्रमाण पत्र की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं लेकिन उनका अपराध से सीधा संबंध होने के कारण उन्हें इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।
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