मोहिंदर सिंह बनाम बलजीत सिंह और अन्य
मोहिंदर सिंह बनाम बलजीत सिंह और अन्य
(2014) 4 ICC 145
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
CR 1350/2012 (O&M)
न्यायाधीश (डॉ) भारत भूषण प्रसुन्न के समक्ष
निर्णय दिनांक: 04 अगस्त 2014
मामले की प्रासंगिकता: डिजिटल साक्ष्य की स्वीकार्यता
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रद्यौगिकी अधिनियम, 2000
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (धारा 3A, 17, 22, 23, 65A, 65B)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- भाड़ा नियंत्रक के समक्ष चल रहे न्याय निर्णयन में, प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता की आवाज़ के सैंपल लेने के लिए एक आवेदन किया है, जिससे याचिकाकर्ता की आवाज़ की तुलना CD में स्टोर की गई वॉइस रिकॉर्डिंग से की जा सकेगी। यह वॉइस रिकॉर्डिंग प्रतिवादी ने समय-समय पर रिकॉर्ड की थी।
- यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता ने किराया बढ़ने पर प्रतिवादी की किरायदारी को बरकरार रखने की स्वीकृति दी थी। पक्षों को सुनने के बाद, भाड़ा नियंत्रक ने आवेदन को अनुमति दी।
- मामले की लंबमानता के दौरान, प्रतिवादी ने रिकॉर्ड की गई बातचीत को स्वीकार करने के लिए याचिकाकर्ता को दिशानिर्देश जारी करने हेतु एक आवेदन दायर किया था। आवेदन के साथ उक्त CD भी प्रस्तुत की गई थी।
- भाड़ा नियंत्रक ने CD के साथ किये गए आवेदन को खारिज कर दिया। इस न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई है, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया। उक्त याचिका को खारिज करते वक्त, कोर्ट ने कुछ बातों का जिक्र किया जिनका पालन किया जाना था।
अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क
- याचिकाकर्ता के वकील ने यह तर्क दिया कि CD में रिकॉर्ड की गई बातचीत का केस से संबंध है या नहीं, जब तक भाड़ा नियंत्रक इस बात की पुष्टि नहीं करते तब तक वॉइस सैंपल लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। भाड़ा नियंत्रक अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर गए है और वह इस बात की सराहना करने में विफल रहे है कि यह प्रतिवादी (किरायेदार) द्वारा मामले को विलंब करने की एक चाल है। याचिकाकर्ता ने इस बात पर जोर दिया कि पुनरीक्षण याचिका में इस कोर्ट द्वारा बनाये गए अवलोकनों का अनुपालन करने में प्रतिवादी विफल रहा है।
- प्रतिवादी ने दलील देते हुए कहा कि चूँकि भाड़ा नियंत्रक ने आदेश द्वारा रिकॉर्ड पर CD को लाने की अनुमति दे दी है, इसलिए वॉइस सैंपल लेकर उसमें रिकॉर्ड की गई बातचीत की तुलना करना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा इस कोर्ट द्वारा निर्धारित अवलोकनों का अनुपालन किया गया है।
न्यायपीठ की राय
- जो किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य के बारे में कोई अनुमान इंगित करता है, ऐसे मौखिक या लिखित अथवा इलेक्ट्राॅनिक रूप के बयानों को शामिल करने के लिए एविडेंस एक्ट की धारा 17 में बदलाव किया गया है। हालांकि, यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की मौखिक स्वीकार्यता तब तक प्रासंगिक नहीं होगी जब तक कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की वास्तविकता साबित नहीं होती।
अंतिम निर्णय
- न किरायदार ने कोर्ट द्वारा सुझाय गई प्रक्रिया का पालन किया न हीं भाड़ा नियंत्रक ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को स्वीकार करने में स्थापित प्रक्रिया का पालन किया। इसलिए आदेश को रद्द किया जाता है और याचिका को अनुमति दी जाती है।
- चूँकि 2007 से याचिका भाड़ा नियंत्रक के समक्ष लंबित है, इसलिए भाड़ा नियंत्रक को तीन महीने के भीतर इस याचिका का निपटान किये जाने का निर्देश दिया गया।
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