सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाने से संबंधित कानून

यश जैनLaw

सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाने से संबंधित कानून

आज की इस डिजिटल दुनिया में साइबर क्राइम तेज़ गति से बढ़ रहे है। लोगों को अपने जाल में फसाने के लिए साइबर अपराधी अक्सर फर्जी प्रोफाइल बनाकर उनका भरोसा जितने की कोशिश करते है। ऐसे में कई अनजान लोग फर्जी प्रोफाइल (fake profile) को असली मानकर अपराधियों के झाँसे में फँस जाते है।

इस आर्टिकल में हम जानेंगे की फर्जी प्रोफाइल बनाने पर कितनी सज़ा मिल सकती है और आप ऐसी प्रोफाइल को कैसे पहचान सकते हो।

फर्जी प्रोफाइल की पहचान कैसे करें?

फर्जी प्रोफाइल की पहचान के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप उसकी प्रोफाइल पिक्चर को गूगल इमेज (images.google.com) पर सर्च करें। बहुत बार फर्जी आईडी में उपयोग की गई तस्वीरें आपको आसानी से गूगल सर्च करने पर मिल जाएगी। साथ ही आपको यह देखना चाहिए कि इस आईडी के कितने दोस्त है, कितने पोस्ट हुए है, सबसे पुराना पोस्ट कब हुआ था, इत्यादि। अगर आपको किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फर्जी प्रोफाइल दिखती है तो उसे रिपोर्ट करना न भूलें।

फर्जी प्रोफाइल (fake profile) से संबंधित कानून

1. पहचान की चोरी

अगर आप कभी ऐसी स्थिति का सामना करते है जहाँ आपकी पहचान चोरी हो गयी गई है, ऐसे में आईटी एक्ट की धरा 66C लगती है। इस धारा में तीन साल तक का कारावास और ₹1 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है। धारा 66C के अंतर्गत “इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर, पासवर्ड, या किसी अन्य विशिष्ट पहचान सुविधा” की कूट रचना (जालसाज़ी) को दण्डित अपराध माना गया है।

2. आपकी पहचान की चोरी के साथ धोखाधड़ी 

मान लीजिये की आप एक कंपनी के सीईओ है। कोई आपके नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाता है और रुपयों के बदले में नौकरी देने की बात लोगों से करता है। ऐसी परिस्थिति में आप पुलिस के पास जाएँगे और आईटी एक्ट की धारा 66D के साथ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 468 के तहत एफआईआर दर्ज़ करवाएंगे। “धोखाधड़ी” शब्द का दायरा बहुत व्यापक है और यह सिर्फ वित्तीय हानि तक सीमित नहीं है।

3. पहचान की चोरी और मानहानि

अगर आपकी पहचान का प्रयोग कर के अश्लील सामग्री शेयर की जा रही है, ऐसे में आप आईटी एक्ट की धारा 66D के साथ 67 और 67A का सहारा ले कर शिकायत कर सकते है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्रेया सिंघल विरुद्ध भारतीय संघ में धारा 66A को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। ऐसे में एक पीड़ित के पास आईपीसी की धारा 499 और 500 उपलब्ध है जहाँ पर साफ़ तौर पर मानहानि की बात की गई है और 2 साल तक की सज़ा है। हालांकि, अगर कूटरचना हुई है तो धारा 469 का उपयोग किया जा सकता है जिसमे 3 साल तक की सज़ा का प्रावधान है।


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