याहू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम हिमाचल प्रदेश
याहू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
Cr MMO 58/2016
न्यायाधीश राजीव शर्मा के समक्ष
निर्णय दिनांक: 09 मार्च 2016
मामले की प्रासंगिकता: मानहानिकारक सामग्री को प्रकाशित करने के लिए एक मध्यस्थ (intermediary) के खिलाफ प्राथमिकी
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(1)(w))
- भारतीय दंड संहिता, 1860 (धारा 505(2))
- दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (धारा 196, 482)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- याचिकाकर्ता के पास समाचार एजेंसियों के साथ उनकी न्यूज़ को अपनी वेबसाइट (Yahoo.co.in) पर प्रकाशित करने के लिए लाइसेंस है।
- याहू की वेबसाइट पर “Now Jadavpur Varsity Students raise slogans raise pro-Afzal and Azadi” शीर्षक वाला एक लेख पोस्ट किया गया था।
- लेख के साथ, SFI की इकाई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की एक तस्वीर याचिकाकर्ता की वेबसाइट पर 16.02.2016 को शाम 7:00 बजे से अगले दिन की रात 10:00 बजे के बीच छोटी अवधि के लिए प्रदर्शित की गई थी।
- याचिकाकर्ता ने 25.02.2016 और 26.02.2016 को अपनी वेबसाइट पर एक सार्वजनिक माफी को ज़रूरी समझकर प्रकाशित भी किया था।
- इस बीच, आई.पी.सी की धारा 505(2) के तहत वेबसाइट के खिलाफ एफआईआर संख्या 0060 दिनांक 20 फरवरी 2016 दर्ज की गई थी।
अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क
- याहू इंडिया की ओर से पेश हुए वकील ने तर्क दिया कि प्राथमिकी दर्ज करना कानून की दृष्टि से सही नहीं है क्योंकि यह दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 196 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। उनके क्लाइंट का अपराध करने का आशय नहीं था और भारतीय दंड संहिता की धारा 505(2) के आवश्यक तत्व पूरे नहीं हैं। उन्होंने इस तथ्य पर भरोसा किया कि आईटी एक्ट की धारा 2(1)(w) के अनुसार, उनका मुवक्किल केवल एक मध्यस्थ है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनका मुवक्किल उत्तरदाताओं को एक लाख रुपयों की राशि देकर मामले का समझौता करने के लिए तैयार है।
अंतिम निर्णय
- सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर संख्या 0060 को रद्द किया गया।
- याचिकाकर्ता को एक हफ्ते के भीतर न्यायालय की रजिस्ट्री में ₹2 लाख (प्रतिवादी संख्या 3 और 4 के लिए प्रत्येक के लिए एक लाख) की राशि जमा करने का निर्देश दिया जाता है।
- वर्तमान याचिका का निपटारा किया गया।
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