राकेश कुमार और अन्य बनाम राज्य
राकेश कुमार और अन्य बनाम राज्य
(2009) 163 DLT 658
दिल्ली उच्च न्यायालय
आपराधिक आवेदन 19/2007
न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायाधीश इंद्रजीत कौर के समक्ष
निर्णय दिनांक: 27 अगस्त 2009
मामले की प्रासंगिकता: प्राथमिक या द्वितीयक साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की स्वीकार्यता
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 65B)
- भारतीय दंड संहिता, 1860 (धारा 302, 120B)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- आत्म राम गुप्ता (मृतक) दिल्ली नगर निगम के पार्षद के रूप में काम करने वाले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। 24/08/2002 को वह फिरोजशाह कोटला मैदान में एक रैली के लिए अपने घर से निकले।
- उस रात वह नहीं लौटे। उनकी हत्या कर दी गई थी और उनके साथ अंतिम ज्ञात व्यक्ति शारदा जैन थे जिन्हें गिरफ्तार किया गया था। शारदा जैन ने एक मोबाइल फोन प्रस्तुत किया जिसमें हत्यारों के साथ हुई बातचीत के कॉल रिकॉर्ड थे।
न्यायपीठ की राय
- न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग: भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अन्य प्रावधानों यानी धारा 63 और 65 के तहत द्वितीयक साक्ष्य को जोड़ने के लिए कोई रोक नहीं है । लेकिन तत्काल मामले में, कॉल रिकॉर्डिंग को केवल धारा 65 बी में ही स्वीकार किया जा सकता है, जो की नहीं किया गया क्यूंकि इस धारा के तहत कोई प्रमाण पत्र न्यायालय में प्रस्तुत नहीं हुआ था।
अन्तिम निर्णय
- शारदा जैन, राज कुमार, रोशन सिंह और राजिंदर द्वारा दायर अपील खारिज कर दी जाती है।
- पुसपिंदर, निर्विकार, राकेश कुमार, श्रीपाल सिंह राघव, और सतेंद्र कुमार द्वारा दायर अपील को अनुमति दी जाती है और उनके खिलाफ आरोप हटा दिए जाते हैं।
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