पुरुषण एलूर बनाम उप पुलिस अधीक्षक
पुरुषण एलूर बनाम उप पुलिस अधीक्षक
केरल उच्च न्यायालय
WP(C) 20992/2012
न्यायाधीश टी आर रामचंद्रन नायर के समक्ष
निर्णय दिनांक: 09 जनवरी 2013
मामले की प्रासंगिकता: साइबर अपराध जाँच सेल से सहायता के लिए दिशा निर्देश मांगे गए
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 43(b), 66, 66A, 72)
- भारतीय दंड संहिता, 1860 (धारा 193, 464)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- याचिकाकर्ता एक पर्यावरण और सामाजिक कार्याकर्ता है और वह एलोर – इडायार क्षेत्र में विभिन्न संघर्षों और मुकदमों में शामिल है।
- उपर्युक्त विधियों और प्रावधानों के तहत ट्रेड यूनियन स्टैंडिंग काउंसिल के सदस्यों के अभियोजन के लिए उसने प्रतिवादी के कार्यालय में एक शिकायत दर्ज कराई।
- इस शिकायत के साथ, महत्वपूर्ण उद्योगों को नष्ट करने और राष्ट्र के खिलाफ गैर सरकारी संगठनों द्वारा किए गए कुछ प्रयासों की जांच करने के लिए प्रतिवादी को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध), तिरुवनंतपुरम से एक दिशा निर्देश भी मिला |
- चूंकि अपराध साइबर अपराध से संबंधित है, याचिकाकर्ता ने साइबर अपराध जांच सेल की सहायता से उसके द्वारा दायर की गई शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए परमादेश रिट या किसी अन्य रिट या उचित निर्देश जारी करने के लिए इस अदालत में याचिका दायर की है।
अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क
- सरकारी अधिवक्ता ने यह कहा कि प्रतिक्रिया को उनके उच्च अधिकारियों से निर्देश मिला है और इस मामले में याचिकाकर्ता से उनके कार्यालय में एक सीधी शिकायत संबोधित हुई।
- क्योंकि उच्च अधिकारियों से प्राप्त हुए निर्देश, प्राप्त हुई शिकायत के समान है, इसलिए दोनों को शामिल कर लिया गया है और पूछताछ जारी है।
न्याय पीठ की राय
- चूंकि पूछताछ अभी भी जारी है, इसलिए अदालत किसी भी मुद्दे पर फैसला नहीं सुना सकती है।
अंतिम निर्णय
- अदालत ने प्रतिवादी को मामले की निष्पक्ष जांच करने का निर्देश दिया और रिट याचिका का बिना किसी खर्च के निस्तारण किया।
निजी राय
क्योंकि अपराधों की प्रकृति में तकनीक का उपयोग हुआ है, इसलिए अदालत को एक कार्यक्षम और गहन जांच के लिए अनिवार्य रूप से साइबर अपराध जांच सेल से मदद लेने का निर्देश देना चाहिए था।
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