बॉम्बे बार एसोसिएशन बनाम नीलेश ओझा
बॉम्बे बार एसोसिएशन बनाम नीलेश ओझा
बॉम्बे उच्च न्यायालय
आपराधिक अवमानना याचिका 3/2017
न्यायाधीश ए एस ओका और न्यायाधीश अनुजा प्रभुदेसाई के समक्ष
निर्णय दिनांक: 22 फरवरी 2017
मामले की प्रासंगिकता: उच्च न्यायालय के आसीन न्यायाधीश के बारे में एक निंदनीय वीडियो प्रकाशित करने के लिए क्या न्यायालय अवमान अधिनियम, 1971 के तहत आपराधिक कार्रवाई शुरू की जा सकती है?
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (धारा 156(3), 190)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- 15 फरवरी 2017 को “राइट मिरर” द्वारा यूट्यूब पर दो वीडियो प्रकाशित किए गए थे और 16 फरवरी 2017 को यूट्यूब पर तीसरा वीडियो प्रकाशित किया गया था।
- www.bvbja.com वेबसाइट पर एक प्रेस नोट प्रकाशित हुआ था। इन सभी वीडियो में विद्वान न्यायाधीश के खिलाफ निंदनीय स्वभाव के आरोप हैं । इनमें से कुछ वीडियो के सन्दर्भ में न्यायालय ने 17 फरवरी 2017 को आदेश भी पारित किये थे।
- “इंडिया ब्यूरो ओझा एनजीओ” द्वारा 31 जनवरी 2017 को एक वीडियो प्रकाशित किया गया था जिसमें इसी न्यायलय के एक और विद्वान न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाए गये है।
न्याय पीठ की राय
- न्यायाधीशों का विचार है कि उक्त बयान में इस न्यायालय के आसीन न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक प्रकृति के आरोप शामिल हैं जो आपराधिक अवमानना करते हैं।
- इस तरह के आरोप कानूनी कार्रवाई के नियत समय के साथ हस्तक्षेप करते हैं। यह मुद्दे न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए चिंताजनक है।
- इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इसमें जो मुद्दे शामिल है वे न्यायिक प्रणाली के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, यह उचित होगा यदि यह याचिका तीन या अधिक न्यायाधीशों की बड़ी पीठ के समक्ष रखी जाए।
अंतिम निर्णय
- उक्त प्रतिभागियों के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करने के लिए यह मामला उपर्युक्त है।
- यूट्यूब पर सभी उक्त वीडियो के साथ साथ उन सभी पेजों (वेब पेज) के विरुद्ध निषेधाज्ञा आदेश पारित किया गया जहां वीडियो सामग्री उपलब्ध है।
- महाराष्ट्र राज्य और भारत संघ सभी संभव प्रयास करेंगे और इस याचिका के नोटिस की सेवा के साथ-साथ इस न्यायालय द्वारा सभी संबंधित प्रतिवादियों को पारित आदेशों की सेवा के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेंगे।
इस केस के सारांश को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें । । To read this case summary in English, click here.