ममता भौमिक बनाम भारतीय संघ
ममता भौमिक बनाम भारतीय संघ
2019 6 GLR 219
गुवाहाटी उच्च न्यायालय
रिट याचिका (सिविल) 8610/2018
न्यायाधीश एएमबी बरुआ और न्यायाधीश ए. बोर्थाकुर के समक्ष
निर्णय दिनांक: 19 फरवरी 2019
मामले की प्रासंगिकता: मतदाता सूची की डिजिटल रूप से हस्ताक्षर की हुई प्रति स्वीकार करने के लिए धारा 65B(4) के तहत आवश्यकताएँ
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(p), 5)
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (धारा 65B(4), 63, 65B(1), 65)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- ग्राम लोखोपारा, मौज़ा-मिस्सामारी, उपखण्ड तेज़पुर (सदर) की 1966 की मतदाता सूची याचिकाकर्ता द्वारा कार्यवाही के दौरान इस बात को साबित करने के लिए प्रस्तुत की गई थी कि उस सूची में से एक नाम उसके पिता का है।
- मतदाता सूची को प्रमाण पत्र के साथ डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित किया गया था और इसलिए सामान्य हस्ताक्षर की कोई ज़रूरत नहीं थी। आईटी एक्ट, 2000 के तहत उसे कानून की दृष्टी से वैध मानने का दावा किया गया था।
- लेकिन मतदाता सूची की प्रमाणिक मूल्य पर चर्चा करते हुए ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश द्वारा याचिकाकर्ता को विदेशी घोषित कर दिया था।
- यह प्रकरण इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में स्टोर की हुई सूचना को पेपर पर प्रिंट किये हुए दस्तावेज़ को स्वीकार करने के सम्बन्ध में है।
न्यायपीठ की राय
- 1966 की मतदाता सूची में निहित प्रबीर कुमार दत्त के डिजिटल हस्ताक्षर को एक दस्तावेज के रूप में माना जाएगा, जो साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 65B(4) की आवश्यकता को पूरा करता है। इसका मतलब है कि 1966 की मतदाता सूची उक्त प्रावधान के तहत एक प्रमाणिक दस्तावेज़ है।
अन्तिम निर्णय
- इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की सामग्री के सम्बन्ध में उक्त दस्तावेज़ प्रमाणिक है और कार्यवाही के दौरान उसे किसी भी स्टेज पर ओरिजिनल रिकॉर्ड के बिना स्वीकार किया जाएगा।
इस केस के सारांश को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें | To read this case summary in English, click here.