सैदाई समियप्पन दुरईसामी बनाम एम.के. स्टालिन
सैदाई समियप्पन दुरईसामी बनाम एम.के. स्टालिन
(2016) 5 LW 448
मद्रास उच्च न्यायालय
चुनाव याचिका 1/2011
न्यायाधीश एम. वेणुगोपाल के समक्ष
निर्णय दिनांक: 10 मार्च 2016
मामले की प्रासंगिकता: चुनाव याचिका में धारा 65B के तहत प्रमाण पत्र की आवश्यकताओं का पूरा होना
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(t))
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (धारा 65B)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- मुद्दा चुनाव से संबंधित था क्योंकि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की गई थी और स्क्रीन पर “Invalid” यानी अमान्य शब्द दिख रहा था।
- चेन्नई के तत्कालीन महापौर प्रतिवादी संख्या 1 के साथ मिले हुए थे, जिसने सामूहिक रूप से गलत स्रोतों से लाए गए धन से मतदाताओं को पैसों का वितरण किया।
- चुनाव आयोग के निर्देश लागू नहीं थे क्योंकि बुनियादी बातों का खुद प्रतिवादी संख्या 1 ने उल्लंघन किया था और महापौर ने निर्देशों का पालन करने के लिए कोई सहयोग सुनिश्चित नहीं किया।
- भाषणों, गीतों और घोषणाओं को उपकरणों का उपयोग करके रिकॉर्ड किया गया और उन्हें कंप्यूटर में डालकर सीडी बनाई गई। इन सीडी को धारा 65B के तहत प्रमाण पत्र के बिना अदालत के समक्ष पेश किया गया था।
अंतिम निर्णय
- चुनाव याचिका खारिज की जाती है। वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने अपने विवेक का प्रयोग किया और पक्षों को अपनी लागत स्वयं वहन करने का निर्देश दिया।
- प्रस्तुत कीये गए सबूत द्वितीयक साक्ष्य के दायरे में आते हैं। धारा 65B के प्रावधानों का पालन नहीं किए जाने पर अदालत में पेश किए गए भाषणों, गानों और घोषणाओं को सबूत के रूप में नहीं माना गया था।
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