राम @ रामप्रसाद बनाम राज्य
राम @ रामप्रसाद बनाम राज्य
2014 (1) MWN (Cr.) 387
मद्रास उच्च न्यायालय
Crl OP(MD) 18495/2013, MP(MD) 1/2013
न्यायाधीश एस वैद्यनाथन के समक्ष
निर्णय दिनांक: 07 जनवरी 2014
मामले की प्रासंगिकता: क्या सीडी की एक प्रति आरोपी को उपलब्ध कराई जानी चाहिए?
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 43, 65, 66)
- भारतीय दंड संहिता, 1860 (धारा 420)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- यह याचिका सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर की गई है, जिसमें विद्वान न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा आपराधिक विविध याचिका क्रमांक 6052/2013 में दिनांक 04.10.2013 को पारित आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की गई है। याचिकाकर्ता, आईपीसी की धारा 323 के तहत दर्ज अपराध क्रमांक 1863/2013 में पांचवां आरोपी है।
- ट्रायल के समय, भौतिक दस्तावेजों को चिह्नित किया गया है। भौतिक दस्तावेजों में से एक कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) है। याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर कोर्ट से सीडी की कॉपी देने को कहा है।
अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क
- याचिकाकर्ता के वकील, श्री एस वीरा काथिरावन ने तर्क दिया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 65(b) के मद्देनजर, कॉम्पैक्ट डिस्क भी एक भौतिक दस्तावेज है, और गवाहों का क्रॉस एग्जामिन करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट को प्रदान करना आवश्यक है।
- प्रतिवादी के वकील, श्री पी. कंडासामी ने तर्क दिया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 3 और भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 29 एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ से संबंध नहीं रखते है।
न्यायपीठ की राय
- एविडेंस एक्ट की धारा 65(b) और आईपीसी की धारा 29(a) के अनुसार, याचिकाकर्ता कॉम्पैक्ट डिस्क की एक प्रति का हकदार है।
- कमिटल कोर्ट, अर्थात् विद्वान न्यायिक मजिस्ट्रेट को याचिकाकर्ता को कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) की एक प्रति प्रस्तुत करने के बाद मामले को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया जाता है। यदि ऐसा कोई दस्तावेज नहीं दिया जाता है, तो यह मुकदमे में अभियुक्त को अवसर से वंचित करने के समान होगा।
अंतिम निर्णय
- आपराधिक विविध याचिका क्रमांक 6052/2013 में दिनांक 04.10.2013 को पारित PRC 17/2013 के आदेश को रद्द किया जाता है। मूल आपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए अभियुक्त को सीडी की कॉपी दिए जाने का निर्देश दिया गया जिससे कि वह गवाहों का क्रॉस एग्जामिन कर पायें। याचिका का निपटारा किया गया।
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