धरमबीर बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो
धरमबीर बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो
148 (2008) DLT 289
दिल्ली उच्च न्यायालय
आपराधिक विविध प्रकरण 1775/2006
न्यायाधीश डॉ. एस. मुरलीधर के समक्ष
निर्णय दिनांक: 11 मार्च 2008
मामले की प्रासंगिकता: हार्ड डिस्क पर फोन रिकॉर्डिंग की स्वीकार्यता
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(t) और 2(o))
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (धारा 3, 65-B)
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- इस मामले में याचिकाकर्ताओं पर आईपीसी की धारा 120B के तहत आपराधिक षड्यंत्र के आरोप हैं और उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 के साथ धारा 7-12 के तहत भी आरोप लगाए गए हैं।
- जांच के दौरान, टेलीफ़ोन पर हुई बातों को रिकॉर्ड करके उन्हें 4 हार्ड डिस्क में स्टोर किया गया, जो नई दिल्ली में स्थित सीबीआई की विशेष इकाई में रखे गए हैं।
- रिकॉर्डिंग वाले चार कंप्यूटर सिस्टम आंध्र प्रदेश फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे गए थे।
- CD चार प्रकरणों के लिए बनाई गई थीं और उन्हें आरोप पत्र के साथ विशेष न्यायाधीश के पास भेजा गया था।
अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क
- याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि अभियुक्तों को दी गई CD की कॉपी केवल आंशिक थीं और पाए गए सभी सबूत अभियुक्त को दिए जाने चाहिए।
- प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि इस प्रकरण में सीबीआई द्वारा धारा 65B के तहत प्रावधानों का पालन किया गया है। बाद में, टेलीफोन पर हुई बातचीत वाली CD APFSL को भेजी गईं और विधिवत प्रमाणित की गईं। इसलिए, यह ओरिजिनल कंप्यूटर के आउटपुट होने की आवश्यकता के प्रमाण के बिना स्वीकार्य प्रमाण है।
न्यायपीठ की राय
- संशोधित साक्ष्य अधिनियम व्यापक रूप से आईटी एक्ट की धारा 2(t) और 2(o) के साथ धारा 3 में ‘दस्तावेज़’ और ‘प्रमाण’ को परिभाषित करता है। इस मामले में, हार्ड डिस्क अपने आप में एक दस्तावेज है जिसका इस्तमाल टेलीफोन पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड करने के लिए किया गया था।
अंतिम निर्णय
- APFSL को भेजे गए चार हार्ड डिस्क को 17 मार्च 2008 के बाद वापस नहीं लाया जाना चाहिए। APFSL हार्ड डिस्क की क्लोन की हुई प्रतियां अपने पास रखेगा।
- 19 सीडी और 768 कॉल के संबंध में, ये विशेष न्यायाधीश के समक्ष प्ले करें जाएंगे। आरोपी को सभी 768 कॉल रिकॉर्डिंग देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
- याचिकाओं और आवेदनों का निपटारा किया।
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