आलोक कुमार बराड़ा बनाम सारा जेन
आलोक कुमार बराड़ा बनाम सारा जेन
CS(OS) 199/2018
दिल्ली उच्च न्यायालय
न्यायाधीश राजीव सहाय एंडलॉ के समक्ष
निर्णय दिनांक: 13 मई 2019
मामले की प्रासंगिकता: वादी के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट प्रकाशित करने में शामिल एक फर्जी अकाउंट को डीएक्टिवेट करने के लिए ट्विटर को निर्देश देना
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(1)(w))
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- वादी ने अदालत का ध्यान ट्विटर हैंडल @SarahJa90007013 से ट्वीट किए गए कुछ ट्वीट्स की ओर आकर्षित किया गया जो मानहानिकारक, अपमानजनक और निंदनीय थे।
- उक्त ट्विटर अकाउंट का उपयोग केवल वादी को बदनाम करने के लिए ही किया गया था।
- ट्विटर अकाउंट में प्रतिवादी की कोई पहचान नहीं है और सारा जेन नामक व्यक्ति का कोई वजूद नहीं है।
- वादी ने प्रतिवादी संख्या 2 (ट्विटर – एक मध्यस्थ) से ट्वीट हटाने का अनुरोध भी किया था, लेकिन उक्त मध्यस्थ द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
न्यायपीठ की राय
- हालांकि वाद अनेक मुद्दों को उठाता है, लेकिन वाद को लंबित रखना आवश्यक नहीं समझा जाता है क्योंकि वादी रिपोर्ट किए गए ट्विटर अकाउंट को निलंबित करने के अलावा कोई अन्य राहत नहीं मांग रहा है।
अंतिम निर्णय
- वाद का निपटारा हुआ। ट्विटर को उक्त अकाउंट डीएक्टिवेट करने का निर्देश दिया गया।
- पक्षों को अपनी लागत वहन करने के लिए छोड़ दिया जाता है।
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