आयकर आयुक्त बनाम ओकोआ लेबोरेटरीज लिमिटेड

यश जैनCase Summary

क्या यूपीएस के लिए कंप्यूटर की परिभाषा के तहत 60% की मूल्यह्रास दर की अनुमति दी जा सकती है?

आयकर आयुक्त बनाम ओकोआ लेबोरेटरीज लिमिटेड
आयकर अपीलीय अधिकरण, दिल्ली
ITA 4114/Del/2009
श्री एच.एस. सिद्धू (न्यायिक सदस्य) और श्री ओपी कांत (प्रशासनिक सदस्य) के समक्ष
निर्णय दिनांक: 25 अगस्त 2017

मामले की प्रासंगिकता: क्या यूपीएस के लिए कंप्यूटर की परिभाषा के तहत 60% की मूल्यह्रास दर की अनुमति दी जा सकती है?

सम्मिलित विधि और प्रावधान

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(1)(i))
  • आयकर अधिनियम, 1961 (धारा 2(24)(x), 32, 36(1)(va), 37(1), 143(2), 143(3))
  • भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम, 1956 (धारा 20A, 33(m))
  • वित्त अधिनियम, 1998

मामले के प्रासंगिक तथ्य

  • विचाराधीन वर्ष के दौरान, निर्धारिती कंपनी ऋण लाइसेंसिंग के माध्यम से तैयार उत्पादों के साथ-साथ विनिर्मित उत्पादों की खरीद करके फार्मास्युटिकल उत्पादों के व्यापार में लगी हुई थी।
  • निर्धारिती द्वारा 2,61,13,312/- रुपयों का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया गया था और मामले को जांच के लिए चुना गया था। निर्धारण में, निर्धारण अधिकारी ने बिक्री और पदोन्नति व्यय की 1,63,90,136 रुपयों की राशि को अस्वीकार कर दिया था। इससे असंतुष्ट होकर, राजस्व ने अधिकरण में अपील दायर की ।
  • निर्धारिती द्वारा उठाई गई प्रति-आपत्ति यह है कि यूपीएस, रैक, स्विच और बैटरी पर उसके द्वारा मूल्यह्रास का दावा किए जाने के बावजूद विद्वान सीआईटी(ए) ने 2,58,429 रुपयों अधिक जोड़कर गलती की है। इसलिए, यूपीएस की परिभाषा के संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के मद्देनज़र रखते हए ट्रिब्यूनल द्वारा यूपीएस की मूल्यह्रास दर की गणना की जानी है।

अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क

  • निर्धारिती ने यह तर्क दिया कि सीआईटी बनाम बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड के मामले के अनुसार, कंप्यूटर सहायक उपकरण जैसे प्रिंटर, स्कैनर और सर्वर इत्यादि कंप्यूटर सिस्टम का एक अभिन्न अंग हैं और कंप्यूटर के बिना इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसलिए, वे 60% की दर से मूल्यह्रास के लिए पात्र हैं।

न्यायपीठ की राय

  • प्रारंभ में, नेस्ले इंडिया लिमिटेड के मामले में अधिकरण के निर्णय के बाद विद्वान सीआईटी(ए) ने माना कि यूपीएस 60% की दर से मूल्यह्रास के लिए पात्र नहीं है।
  • उपरोक्त को इस तथ्य के कारण माना गया था कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2(1)(i) के अनुसार, यूपीएस को कंप्यूटर का हिस्सा नहीं कहा जा सकता है। कंप्यूटर में बिजली की आपूर्ति की कोई अंतर्निहित प्रणाली नहीं है। यूपीएस कंप्यूटर को बिजली के वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता का एक स्रोत है। इसलिए, यह कंप्यूटर का एक अभिन्न अंग नहीं है।
  • कंप्यूटर पर मूल्यह्रास दर इसलिए ज़्यादा होता है क्योंकि कंप्यूटर बनाने में उपयोग की जाने वाली तकनीक तेजी से विकसित हो रही है और बहुत तेजी से पूरानी भी हो जाती है। वही दूसरी ओर, यूपीएस को कंप्यूटर के रूप में इसलिए नहीं माना जा सकता क्योंकि यूपीएस बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक ना तो तेजी से विकसित होती है और ना ही कम समय में पूरानी होती है।
  • आखिरकार, ट्रिब्यूनल ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मामले पर भरोसा किया जिसमें यह देखा गया कि नेस्ले इंडिया लिमिटेड का फैसला बहुत पुराना था।
  • यह देखा गया कि कंप्यूटर फाइबर नेटवर्किंग और यूपीएस/इनवर्टर 60% पर मूल्यह्रास के पात्र थे।

अन्तिम निर्णय

  • स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मामले में ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद, विवाद में इस मुद्दे पर विद्वान सीआईटी(ए) का निष्कर्ष उलट गया।
  • विचाराधीन वर्ष के तथ्य और परिस्थितियाँ निर्धारण वर्ष 2007-2008 के लिए निर्धारिती के तथ्यों और परिस्थितियों के समान होने के कारण, राजस्व की अपील का आधार, साथ ही विचाराधीन वर्ष में निर्धारिती की प्रति आपत्ति की अनुमति है।
  • राजस्व की तीन अपीलें और निर्धारिती की दोनों प्रति-आपत्तियां स्वीकार की जाती हैं।

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