श्री बालाजी परिवहन निगम बनाम भारतीय खाद्य निगम
श्री बालाजी परिवहन निगम बनाम भारतीय खाद्य निगम
सिविल रिट याचिका 2440/2016
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
न्यायाधीश एसजे वजीफदार, अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश अरुण पल्ली के समक्ष
निर्णय दिनांक: 18 फरवरी 2016
मामले की प्रासंगिकता: क्या डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित निविदाओं (tender) को विधिवत हस्ताक्षरित माना जा सकता है या नहीं?
सम्मिलित विधि और प्रावधान
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 2(p), 2(q))
मामले के प्रासंगिक तथ्य
- याचिकाकर्ताओं को एक ऑनलाइन बोली जमा करनी थी। बोली एफसीआई द्वारा निर्धारित एक विशेष प्रारूप में प्रस्तुत की जानी थी।
- अनुच्छेद कुछ इस तरह है: बोलीदाताओं को वैध डिजिटल हस्ताक्षरों का उपयोग करके सीपीपी पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपनी बोली की सॉफ्ट कॉपी जमा करनी होती है। नीचे दिए गए निर्देश बोलीदाताओं को सीपीपी पोर्टल पर पंजीकरण करने, आवश्यकता के अनुसार अपनी बोलियां तैयार करने और सीपीपी पोर्टल पर अपनी बोलियां ऑनलाइन जमा करने में सहायता करने के लिए हैं।
- बोलीदाता को एक-एक करके बोली के दस्तावेजों को डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित करके अपलोड करना था।
- उक्त अनुच्छेद यह स्पष्ट करता है कि डिजिटल हस्ताक्षर को स्वीकार किया जाना था।
न्यायपीठ की राय
- पीठ की राय थी कि आईटी एक्ट, 2000 के अनुसार डिजिटल हस्ताक्षर की परिभाषा इस तथ्य के कारण लागू नहीं होनी चाहिए कि संविदा में बोली जमा करने की अलग-अलग शर्तें थी जिसमें डिजिटल हस्ताक्षर की गई बोली को स्वीकार नहीं करना था। संविदा में दी गई शर्तों का पालान किया जाना चाहिए।
- इसके अलावा, अदालत ने कहा कि इससे पहले, याचिकाकर्ताओं ने अपनी बोली जमा करने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया था जिसे प्रतिवादी ने स्वीकार किया था। यदि प्रतिवादी ने पहले की निविदाओं में ऐसा किया है, तो उन्हें वर्तमान निविदा में इसे करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
अंतिम निर्णय
- डिजिटल सिग्नेचर कार्ड का उपयोग करके हस्ताक्षर की गई बोली को स्वीकार कर लिया गया था, भले ही संविदात्मक शर्तों की मांग अलग हो, याचिकाकर्ता के लिए आईटी एक्ट के अनुसार डिजिटल हस्ताक्षर की परिभाषा का पालन करना उचित था।
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