विनोद कौशिक और अन्य बनाम माध्विका जोशी और अन्य

यश जैनCase Summary

विनोद कौशिक और अन्य बनाम माध्विका जोशी और अन्य

विनोद कौशिक और अन्य बनाम माध्विका जोशी और अन्य
साइबर अपीलीय अधिकरण
अपील क्रमांक 2/2010
न्यायाधीश राजेश टंडन (अध्यक्ष) के समक्ष
निर्णय दिनांकः 29 जून 2011

मामले की प्रासंगिकता: आईटी अधिनिर्णायक के समक्ष कार्यवाही में सीपीसी के आदेश 1 के नियम 10(4) की प्रयोज्यता

सम्मिलित विधि और प्रावधान

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 43, 65, 66E, 72, 85)

मामले के प्रासंगिक तथ्य

  • अपीलकर्ता लोहा अयस्क, क्रोम, मैग्नीज आदि जैसी वस्तुओं के व्यापार में शामिल है और उसका बेटा प्रतिवादी से विवाहित है।
  • अपीलकर्ता के बेटे ने अलग रहना शुरू कर दिया था क्योंकि उज्जैन में प्रतिवादी द्वारा एक तुच्छ शिकायत दर्ज की गई थी, जो बाद में पुणे में स्थानांतरित हो गई थी
  • इसके बाद प्रतिवादी ने अपीलकर्ता और उसके बेटे की ईमेल और चैट मैसेज की नो प्रतिलिपियां साझा की।
  • अपीलकर्ता ने यह तर्क दिया कि चूंकि वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सौदा करते हैं, वह अक्सर अपने पासवर्ड बदलते हैं और किसी के साथ साझा भी नहीं करते हैं |
  • अपीलकर्ता को उपर्युक्त प्रतिलिपि प्राप्त होने के बाद, उन्होंने हैकिंग, अनधिकृत एक्सेस और छेड़छाड़ के लिए प्रतिवादी और उनके सहयोगियों के खिलाफ महाराष्ट्र के आई टी अधिनिर्णायक के साथ एक आवेदन दायर किया और मौद्रिक व प्रतिष्ठित नुकसान के लिए 50 लाख रुपयों की क्षति का दावा किया ।
  • इन प्रतिलिपियों का इस्तेमाल कर पुलिस ने अपीलकर्ता के बेटे को 8 दिन की हिरासत में ले लिया जिसकी वजह से अपीलकर्ताओं का व्यापार भी प्रभावित हुआ क्योंकि उसका पासपोर्ट भी ज़ब्त किया गया था।
  • महाराष्ट्र के आईटी अधिनिर्णायक ने यह शिकायत खारिज कर दी थी और इसलिए अपीलकर्ताओं ने साइबर अपीलीय अधिकरण में अपील की।

अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क

  • प्रतिवादी ने यह तर्क दिया की अपीलकर्ता का बेटा एक वयस्क है और वह व्यक्तिगत क्षमता में आवेदन दायर कर सकता है, जबकि ऐसा हुआ नहीं।
  • अपीलकर्ता और उसका बेटा दो अलग-अलग व्यक्ति है और जिस राहत की उन्होंने मांग की है वह भी बिल्कुल अलग होगी।

न्याय पीठ की राय

  • आई टी अधिनिर्णायक को अपीलकर्ता के बेटे को एक उचित अवसर देना चाहिए था क्योंकि यह मामला उसे काफी प्रभावित करता है।
  • प्रत्यारोपित करने के आवेदन को दायर करने के बाद सभी पक्षकारों को अपने सबूत को प्रस्तुत करने और दावे को साबित करने के लिए उचित अवसर मिलने चाहिए।

अंतिम निर्णय

  • अपीलकर्ता के बेटे को महाराष्ट्र के आईटी अधिनिर्णायक के समक्ष आवेदन दायर करने के निर्देश दिए गए।
  • पक्षकारों को अपनी लागत वहन करके अपील करने की अनुमति दी गई थी।
  • अधिनिर्णायक अधिकारी मामले को अधिकरण द्वारा किए गए अवलोकनओं के आधार के साथ ही नए सिरे से सुनेंगे।

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