मैसर्स जेएम मॉर्गन स्टेनली रिटेल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के मामले में

यश जैनCase Summary

मैसर्स जेएम मॉर्गन स्टेनली रिटेल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के मामले में

मैसर्स जेएम मॉर्गन स्टेनली रिटेल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के मामले में
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
श्री ए.के. बत्रा, पूर्णकालिक सदस्य के समक्ष
MO/14/MIRSD/06/04
निर्णय दिनांक: 02 जून 2004

मामले की प्रासंगिकता: इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की कानूनी मान्यता

सम्मिलित विधि और प्रावधान

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 4)
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (धारा 4)
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड विनियम, 2002 (विनियमन 13)

मामले के प्रासंगिक तथ्य

  • मॉर्गन स्टेनली रिटेल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (JMM) एक रजिस्टर्ड कंपनी है और स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई की सदस्य है, जिसका सेबी रजिस्ट्रेशन नंबर INB011054831 है। सेबी ने नवंबर 2000 के दूसरे सप्ताह में JMM द्वारा बनाए गए अकाउंट, डॉक्यूमेंट और अन्य रिकॉर्ड की बुक्स का निरीक्षण किया। JMM को वर्ष 1999-2000 और 2000-2001 में अपने बाज़ार की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया था।
  • निरीक्षण के दौरान देखे गए उल्लंघनों के आधार पर, 22 जनवरी 2002 के एक जांच आदेश के तहत, सेबी ने JMM के खिलाफ जांच कार्यवाही शुरू करने के लिए एक जांच अधिकारी नियुक्त किया। जांच अधिकारी ने सेबी विनियम, 2002 के विनियम 6 के अनुसार 03 फरवरी 2003 को ब्रोकर को कारण बताओ नोटिस जारी किया। जांच कार्यवाही के समापन पर जांच अधिकारी ने 11 सितंबर 2003 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने JMM के रजिस्ट्रेशन के प्रमाण पत्र को तीन महीने के लिए निलंबित करने के मामूली दंड की सिफारिश की।

अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क

  • अनुबंध नोटों की डुप्लीकेट कॉपी बनाए रखने के लिए एक स्टॉक ब्रोकर के दायित्व के संबंध में यह पक्ष रखा गया की ब्याज़ बदला के बिलों की डुप्लीकेट कॉपी रखना आवश्यक नहीं था। हालांकि, JMM ने तर्क दिया कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक रूप में ब्याज़ बदला के बिलों के डुप्लीकेट बिल बना रखे थे और इस प्रकार डुप्लिकेट बिलों को संरक्षित करने की आवश्यकता का अनुपालन किया था।
  • यह प्रस्तुत किया गया था कि कोई वैधानिक आवश्यकता नहीं थी कि डुप्लिकेट बिलों का ऐसा रखरखाव केवल भौतिक रूप में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक रूप में बिलों का रखरखाव उपरोक्त आवश्यकता के पर्याप्त अनुपालन का गठन करता है। आईटी एक्ट की धारा 4 के प्रावधानों से इस तर्क को और बल मिला।

न्यायपीठ की राय

  • निर्णायक अधिकारी JMM के इस तर्क से सहमत थे कि कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है कि डुप्लिकेट बिलों का रखरखाव केवल भौतिक रूप में होना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक रूप में बिलों का रखरखाव आवश्यकता के पर्याप्त अनुपालन का गठन करता है।

अंतिम निर्णय

  • न्यायिक अधिकारी ने जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तावित दंड को कम कर दिया। सेबी अधिनियम, 1992 की धारा 4(3) के तहत सेबी विनियम (2002) के नियम 13(4) के तहत एक चेतावनी पर्याप्त होगी।

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