बिनॉय विस्वाम बनाम भारत संघ और अन्य

यश जैनCase Summary

बिनॉय विस्वाम बनाम भारतीय संघ और अन्य

बिनॉय विस्वाम बनाम भारतीय संघ और अन्य
(2017) 7 SCC 59
उच्चतम न्यायालय
रिट याचिका (सिविल) 247, 277, 304/2017
न्यायाधीश डॉ. ए.के सीकरी और न्यायाधीश अशोक भूषण के समक्ष
निर्णय दिनांक: 09 जून 2017

मामले की प्रासंगिकता: पैन के साथ आधार नंबर को लिंक करने की अनिवार्यता

सम्मिलित विधि और प्रावधान

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 7)
  • भारतीय संविधान, 1950 (अनुच्छेद 14, 21, 19(1)(g))
  • आयकर अधिनियम, 1961 (धारा 139AA)
  • आधार(वित्‍तीय और अन्‍य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 (धारा 2(a), 2(c), 2(d), 2(e), 2(g), 2(h), 2(k), 2(l), 2(m), 2(n), 3, 7, 28, 29, 30)

मामले के प्रासंगिक तथ्य

  • आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139AA ने आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए पैन नंबर के साथ आधार नंबर को लिंक कराना अनिवार्य कर दिया।
  • इस उपधारा के प्रावधानों में आगे कहा गया है कि यदि किसी निर्धारिती के पास आधार नंबर नहीं है, तो आयकर रिटर्न दाखिल करते समय नामांकन आईडी प्रदान करनी होगी।
  • याचिकाकर्ताओं ने इस उपधारा को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(g), और 21 का उल्लंघन करता है।

अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख तर्क

  • याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि धारा 139AA अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है क्योंकि यह निर्धारिती के वर्ग के खिलाफ भेदभाव करता है जो आधार अधिनियम, 2017 के तहत स्वैच्छिक रूप से आधार कार्ड के लिए नामांकन नहीं करना चाहते थे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि आधार कार्ड की अनिवार्यता निर्धारतियों को बाध्य करती है, जो अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन करता है और अनुच्छेद 19(6) के तहत दी गई सीमा से बाहर भी जाता है।
  • उन्होंने यह भी कहा कि आधार अधिनियम के तहत बायोमेट्रिक डेटा का संग्रह राज्य को एक व्यक्ति के संबंध में अत्यंत प्रभावी स्थिति में रखता है जिससे राज्य किसी भी व्यक्ति को निगरानी में रख सकता है। इसलिए, उक्त अनिवार्यता अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
  • राज्य ने तर्क दिया कि अब तक नकली पैन कार्ड की संख्या 10.52 लाख है जो देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और राष्ट्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने के लिए काफी है। धारा 139AA का मुख्य उद्देश्य काले धन का पता लगाना, धन शोधन, और टैक्स की चोरी की जाँच करना है। आधार के साथ पैन को जोड़ने से ऊँची रकम के लेनदेन के लिए गलत पैन के उपयोग को रोका जा सकेगा और यह नकली पैन कार्ड के नियंत्रण करने का एकमात्र मजबूत तरीका है। इसके अलावा, अपराध और आतंकवाद से निपटने के लिए आधार कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भी सहायता करेगा। अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों जैसे कि एफएटीसीए, सीआरएस आदि के तहत भी आधार और पैन को लिंक करना अनिवार्य है।

न्यायपीठ की राय

  • अनुच्छेद 14 वर्ग विधान से संबंधित है, कानून के उद्देश्य के लिए एक उचित वर्गीकरण के साथ नहीं। सभी आयकर निर्धारिती एक वर्ग का गठन करते हैं और लगाए गए प्रावधान द्वारा इनसे एक जैसा व्यवहार किया जाता है।
  • न्यायालय कानून बनाने में विधायिका की बुद्धिमत्ता पर सवाल नहीं उठा सकती। यदि कानून विधायिका की क्षमता से परे है या यदि वह संविधान के मौलिक अधिकारों और/या अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो किसी कानून को रद्द किया जा सकता है। और इसलिए, याचिकाकर्ता को यह साबित करना होगा कि संसद संविधान के तहत प्रदान की हुई शक्तियों की सीमा से बाहर गई है।
  • यदि एक उचित उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कानून बनाया गया है और यदि इस तरह के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए गए उपाय तर्कसंगत रूप से ऐसे उद्देश्य से जुड़े हैं और वें आवश्यक हैं, तो संवैधानिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने वाला एक क़ानून वैध है।

अंतिम निर्णय

  • आधार नंबर के साथ नहीं जोड़ने के लिए के लिए धारा 139AA(2) के तहत पैन का विलोपन मौजूदा पैन कार्ड धारकों के लिए पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता है। धारा 139AA(2) का मतलब यह है कि यह केवल संभावित रूप से लागू किया जाएगा। संसद को इस प्रावधान को समाप्त करने की स्वतंत्रता भी दी जाती है।
  • आयकर रिटर्न दाखिल करते समय आधार नंबर या आधार के आवेदन की नामांकन आईडी देने का किसी निर्धारिती का दायित्व अनुच्छेद 14 या अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन नहीं है। धारा 139AA के प्रावधान अनुच्छेद 19(1)(g) में दिए गए प्रतिबंधों के तहत आते है।
  • अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत चुनौती खड़ी नहीं होती है और इसलिए, धारा 139 AA को वैध माना जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 7 द्वारा निर्धारित बायोमेट्रिक रिकॉर्ड की सुरक्षा पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश जारी किए गए।
  • अनुच्छेद 21 के तहत दी गई चुनौती के अनुसार, आधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता के लिए एक चुनौती सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष पहले से ही लंबित है, और न्यायिक अनुशासन बनाए रखने के लिए, अदालत इस मुद्दे पर निर्णय नहीं करेगी। याचिकाकर्ता को चल रही कार्यवाही में अपनी चिंताओं को उठाने की अनुमति है।

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