क्रिश्चियन लुबोटिन सास बनाम नकुल बजाज

यश जैनCase Summary

क्रिश्चियन लुबोटिन सास बनाम नकुल बजाज

क्रिश्चियन लुबोटिन सास बनाम नकुल बजाज
(2018) 253 DLT 728
दिल्ली उच्च न्यायालय
CSS (Comm) 344/2018
न्यायाधीश प्रतिभा एम. सिंह के समक्ष
निर्णय दिनांक: 2 नवंबर 2018

मामले की प्रासंगिकता: एक मध्यस्थ के रूप में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का दायित्व

शामिल क़ानून और प्रावधान

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (धारा 66A, 69A, 79, 81, 87)
  • भारतीय संविधान, 1950 (अनुच्छेद 19)
  • भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 (धारा 51)
  • व्यापार चिन्ह अधिनियम, 1999 (धारा 2, 101, 102)

मामले के प्रासंगिक तथ्य

  • यह मुकदमा लग्जरी जूते बनाने वाली एक कंपनी क्रिश्चियन लुबोटिन ने दायर किया है। यह दावा करता है कि उसके उत्पाद केवल चुने उए वितरकों (distributors) के अधिकृत नेटवर्क के माध्यम से बेचे जाते हैं और भारत में केवल दो स्टोर हैं जो बेचने के लिए वादी द्वारा अधिकृत हैं।
  • वादी का दावा है कि प्रतिवादी अपनी वेबसाइटों पर वादी के ब्रांड नाम वाले विभिन्न उत्पाद बेचते हैं और इसमें संपूर्ण उत्पाद सूची शामिल है। वादी के अनुसार, प्रतिवादियों द्वारा बेचे गए उत्पाद नकली हैं।
  • प्रतिवादियों को अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट के माध्यम से वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क वाले किसी भी उत्पाद को बेचने, बेचने की पेशकश, विज्ञापन देने आदि पर अदालत ने रोक लगाकर वादी को अंतरिम राहत दी थी।
  • तब प्रतिवादियों द्वारा एक लिखित बयान दायर किया गया था जिसमें उनका दावा है कि वे सामान नहीं बेचते हैं, लेकिन केवल अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑर्डर की बुकिंग करते हैं। उनका दावा है कि उन्होंने नकल नहीं की है क्योंकि वादी के वास्तविक नाम का उपयोग किया गया है।
  • इसलिए, प्रश्न एक मध्यस्थ के रूप में प्रतिवादी के दायित्व के संबंध में है, जिसे न्यायालय द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के अनुसार व्याख्यायित किया जाना है।

न्यायपीठ की राय

  • जहां तक ड्यू डिलिजेंस का संबंध है, मध्यस्थ को जानबूझकर ऐसी जानकारी की होस्ट नहीं करनी चाहिए जो सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम, 2011 के विपरीत हो।
  • Darveys.com उत्पादों पर पूर्ण नियंत्रण रखता है और विक्रेताओं की पहचान करता है, उन्हें सक्रिय रूप से सक्षम बनाता है, उनका प्रचार करता है और भारत में उत्पादों को बेचता है। जब कोई ई-कॉमर्स वेबसाइट नकली उत्पादों को बेचने के लिए साजिश कर रही है, उकसा रही है, सहायता कर रही है या प्रेरित कर रही है या योगदान दे रही है, तो इसे मध्यस्थ होने की बजाय एक सक्रीय भागीदारी कही जा सकती है। ऐसे मामले में, वेबसाइट अपनी सक्रिय भागीदारी को देखते हुए उल्लंघन के लिए उत्तरदायी होगी। इसलिए, यदि वे मध्यस्थ को प्रदान की गई सुरक्षा का आनंद लेना चाहते हैं, तो उन्हें सावधानी से काम करने की आवश्यकता है।
  • यदि कोई मध्यस्थ ट्रांसमिशन शुरू करता है, ट्रांसमिशन के रिसीवर का चयन करता है या ट्रांसमिशन में निहित जानकारी का चयन करता है, तो वह उस छूट को खो सकता है जिसका वह हकदार है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की अधिभावी प्रकृति (overriding nature) केवल तभी लागू होती है जब व्यापार चिह्न अधिनियम के प्रावधान इसके प्रावधानों के अनुरूप हों। व्यापार चिह्न अधिनियम के प्रावधान किसी भी तरह से आईटी एक्ट के प्रावधानों से असंगत (inconsistent) नहीं हैं। इसलिए, आईटी एक्ट की धारा 81 उन मध्यस्थों को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करती है जो व्यापार चिह्न अधिनियम, 2000 के प्रावधानों का उल्लंघन कर सकते हैं।
  • वर्तमान मामले में, विक्रेता का पता नहीं है, विक्रेता किस व्यक्ति से सामान खरीदता है, यह ज्ञात नहीं है। यह भी पता नहीं है कि उत्पाद वास्तविक है या नहीं, हालांकि Darveys.com का कहना है कि यह वास्तविक है। इन बातों को देखते हुए, Darveys.com को एक मध्यस्थ के रूप में नहीं कहा जा सकता है जो आईटी एक्ट, 2000 की धारा 79 के तहत सुरक्षा का हकदार है।

अंतिम निर्णय

  • प्रतिवादी, Darveys.com को अपने सभी विक्रेताओं के पूर्ण विवरण का खुलासा करने और उनसे उत्पादों की वास्तविकता साबित करने वाला एक प्रमाण पत्र प्राप्त करने का निर्देश दिया जाता है। वादी द्वारा किसी भी नकली उत्पाद द्वारा बेचे जाने की सूचना मिलने पर और यदि विक्रेता वास्तविकता के बारे में साक्ष्य प्रदान करने में असमर्थ है, तो प्रतिवादी उक्त सूची को हटा देगा और मध्यस्थ दिशानिर्देश, 2011 के अनुसार वादी को सूचित करेगा।
  • एक विदेशी विक्रेता के मामले में, प्रतिवादी वादी को सूचित करेगा और उक्त उत्पाद को उसके प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए पेश करने से पहले सहमति प्राप्त करेगा। स्थानीय विक्रेता के मामले में, विक्रेता और प्रतिवादी के बीच एक समझौता किया जाना चाहिए, जिससे उत्पाद की प्रामाणिकता और वास्तविकता के रूप में गारंटी प्राप्त करना अनिवार्य हो और इसके उल्लंघन के परिणामों का भी प्रावधान हो।
  • प्रतिवादी विक्रेताओं से यह गारंटी भी मांगेंगे कि उत्पाद खराब नहीं हैं और विक्रेता वादी की गारंटी और वारंटी का सम्मान करेंगे। उन विक्रेताओं के उत्पाद जो ऐसी गारंटी प्रदान करने में असमर्थ हैं, उन्हें प्रतिवादी के प्लेटफ़ॉर्म पर नहीं दिखाया जाएगा।
  • वादी के निशान वाले सभी मेटा-टैग तत्काल प्रभाव से हटा दिए जाएंगे। हर्जाने/खातों को प्रस्तुत करने या लागतों के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया गया।

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